Padma Shri Jageshwar Ram: पद्मश्री जागेश्वर राम ने अपने जीवन में पहली बार झंडा फहराया. सम्मान मिलते ही उन्हें गांव की पंचायत से निमंत्रण मिला
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने की खबर के बाद आज जागेश्वर राम यादव सबसे पहले भगवान शिव के मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की
जशपुर,Padma Shri Jageshwar Ram: पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने की खबर के बाद आज जागेश्वर राम यादव सबसे पहले भगवान शिव के मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की. इसके बाद अपने भितघरा ग्राम पंचायत में भी तिरंगा फहराया. भितघरा ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर पंचायत भवन में झंडोत्तोलन करने के लिए जागेश्वर राम को आमंत्रित किया था. तिरंगा फहराने के बाद सरपंच अलीना ने जागेश्वर यादव का शॉल और श्रीफल से सम्मान किया.कल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पत्थलगांव विधायक गोमती साय से फोन पर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने की जानकारी मिलने के बाद भितघरा गांव में खुशी का माहौल है।
जागेश्वर ने अपने आसपास रहने वाले बिरहोर परिवार के दर्द को समझकर उनके उत्थान का संकल्प लिया था
बगीचा विकासखंड के भिटघरा गांव में रहने वाले जागेश्वर यादव जशपुर, सरगुजा और रायगढ़ जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को शिक्षा के माध्यम से विकास की राह पर जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आबादी से दूर रहने वाले बिरहोर परिवार के लोग बंदरों को मारकर खाते थे. इस जनजाति के लोग अंधविश्वास के कारण स्वास्थ्य और शिक्षा से दूर रहते थे, लेकिन इन लोगों के साथ रहने से वे अंधविश्वास से दूर हो गए। अपने बच्चों को आश्रम शालाओं में पढ़ते देख अन्य लोग भीउसी भी विकास शिक्षा से नजदीकी बनाई।
अन्य सुदूरवर्ती गांवों में आधा दर्जन आश्रम विद्यालय और बिरहोर छात्रावास खोलने की पहल की
बिरहोर परिवारों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए जागेश्वर यायाव के सुझाव पर प्रशासन ने भितघरा समेत अन्य सुदूरवर्ती गांवों में आधा दर्जन आश्रम विद्यालय और बिरहोर छात्रावास खोलने की पहल की. इसके अच्छे नतीजों के बाद शिक्षा की रोशनी से दूर रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के बच्चों की रुचि पढ़ाई में बढ़ने लगी। जिला शिक्षा पदाधिकारी नरेंद्र कुमार सिन्हा की पहल के बाद पिछले साल पहली बार बिरहोर और पहाड़ी कोरवाओं के सौ से अधिक युवक-युवतियों को शिक्षक और अन्य सरकारी सेवाओं में पदस्थापित किया गया है.
एक छोटे से गांव में रहने वाले जागेश्वर
दरअसल, एक छोटे से गांव में रहने वाले जागेश्वर ने अपने आसपास रहने वाले बिरहोर परिवार के दर्द को समझकर उनके उत्थान का संकल्प लिया था. 1980 में इस संकल्प के बाद वे आज भी नंगे पैर चलते हैं, उन्होंने अपना पूरा जीवन बिरहोर परिवार को समर्पित कर दिया है.